ओएम परममन नमः
नमोह नारायणाय,
ईश्वर की रचना (मनुष्य) मनुष्य के आविष्कार से बड़ी है। कर्तव्य पूजा है। कर्तव्य के प्रति हमारी भक्ति हमें अपने अंदर देवत्व की स्थिति का एहसास कराने में मदद करती है। मनुष्य की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।
मानवता की निःस्वार्थ सेवा शक्ति और भक्ति की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने की कुंजी है।
कभी भगवान के चरणों में